इस अवसर पर महिला कर्मचारियों तथा सतलुज श्री (एसजेवीएन ऑफिसर लेडीज क्लब) के सदस्यों के लिए पदमश्री पुरस्कार विजेता ख्यातिप्राप्त प्रेरणास्पद वक्ता तथा पर्वतारोही डॉक्टर अरुणिमा सिन्हा (माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला) की एक प्रेरणास्पद वार्ता का आयोजन किया गया।
डॉ अरुणिमा सिन्हा ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे एक बार लुटेरों ने उनका विरोध करने पर उन्हें चलती ट्रेन के बाहर धकेल दिया और डॉक्टरों को उनका जीवन बचाने के लिए उनकी एक टांग काटनी पड़ी। उन्होंने चुनौतियों का सामना करने संबंधी अपनी जीवन यात्रा का उल्लेख किया और चुनौतियों से निपटने और प्रतिकूल परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के बारे में सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला की उपलब्धियां प्रेरणा का स्रोत होनी चाहिए जिनसे अन्य लोग लैंगिक समानता लाने और मजबूत बनने में सक्षम बनें।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए एसजेवीएन की निदेशक(कार्मिक) श्रीमती गीता कपूर ने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय #चुनौती को चुनो है और इस संदर्भ में डॉ. अरुणिमा कपूर की जीवनी, संघर्ष और सफलता, असाधारण इच्छा शक्ति, प्रतिबद्धता और साहस का जीता जागता उदाहरण है। श्रीमती गीता कपूर ने बताया कि उन महिलाओं के बेमिसाल संघर्ष से अवश्य ही सीख ली जानी चाहिए जिन्होंने दूसरों के लिए प्रेरणा पथ प्रशस्त किया है। एसजेवीएन अपनी महिला कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से परिवर्तन लाने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष मनाता है, जोकि एक अधिक मानवीय और बेहतर विश्व के निर्माण में मददगार होगा।
इस अवसर पर जिन महिलाओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया उनके लाभ के लिए डॉ. सुखराम चौहान की एक स्वास्थ्य वार्ता का भी आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने एक स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन जीने के लिए विभिन्न सुझाव दिए।
पदमश्री पुरस्कार विजेता डॉ अरुणिमा सिन्हा एक भारतीय वॉलीबॉल खिलाड़ी, पर्वतारोही, प्रेरणास्पद वक्ता तथा माउंट एवरेस्ट माउंट किलिमंजारो (तंजानिया) माउंट एलबरुस (रशिया) माउंट काथीउस्को (ऑस्ट्रेलिया), माउंट एकांकागुआ (दक्षिण अमरीका), कार्टेन्ज पिरामिड (इंडोनेशिया) तथा माउंट विंसन (अंटार्कटिका) को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला हैं। उनकी आत्मकथा ‘’बॉर्न अगेन ऑन द माउंटेन’’ का अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, गुजराती तथा मैथिली भाषा में प्रकाशन हो चुका है।